वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न का राष्ट्रीय लक्ष्य 3280 लाख टन निर्धारित, दलहन का 295.5 तथा तिलहन का 413.4 लाख टन का लक्ष्य

दूसरे अग्रिम आकलन (2021-22) के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3160 लाख टन अनुमानित है जो एक सर्वकालिक रिकॉर्ड होगा। दलहन और तिलहन का उत्पादन क्रमशः 269.5 तथा 371.5 लाख टन होगा

वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न का राष्ट्रीय लक्ष्य 3280 लाख टन निर्धारित, दलहन का 295.5 तथा तिलहन का 413.4 लाख टन का लक्ष्य

देश में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए खाद्यान्न उत्पादन का राष्ट्रीय लक्ष्य बीते वर्ष के 3160 लाख टन के अनुमानित उत्पादन की तुलना में 3280 लाख टन निर्धारित किया गया है। दलहन तथा तिलहन के लिए राष्ट्रीय लक्ष्य क्रमशः 295.5 लाख टन एवं 413.4 लाख टन है। पोषक अनाजों के उत्पादन का लक्ष्य 2021-22 के 115.3 लाख टन से बढ़ा कर 205 लाख टन किया गया है। नई दिल्ली में आयोजित खरीफ सम्मेलन में यह जानकारी दी गई। सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि दूसरे अग्रिम आकलन (2021-22) के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 3160 लाख टन अनुमानित है जो एक सर्वकालिक रिकॉर्ड होगा। दलहन और तिलहन का उत्पादन क्रमशः 269.5 तथा 371.5 लाख टन होगा। तीसरे अग्रिम आकलनों के अनुसार,  वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान बागवानी उत्पादन 3310.5 लाख टन होगा जो भारतीय बागवानी क्षेत्र के लिए सर्वकालिक उच्चतम है। 

इस मौके पर जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सम्मेलन का उद्देश्‍य फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए पूर्ववर्ती फसल सीजन के दौरान फसल निष्पादन की समीक्षा तथा आकलन करना और राज्य सरकारों के परामर्श के साथ खरीफ सीजन के लिए फसल-वार लक्ष्य निर्धारित करना है। सरकार की प्राथमिकता चावल एवं गेहूं जैसी फसलों के बजाय तिलहन एवं दलहन जैसी कमी वाली फसलों तथा अधिक निर्यात मूल्य दिलाने वाली फसलों की तरफ किसानों को ले जाना है। सरकार तिलहनों एवं दलहनों में आत्मनिर्भरता एवं पाम ऑयल को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए फसल विविधीकरण को उच्च प्राथमिकता दे रही है। देश में फसल विविधीकरण कार्यक्रम के लिए एक राष्ट्रीय नीति रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए प्रमुख राज्यों, शोधकर्ताओं, उद्योगों तथा नीति निर्माताओं जैसे सभी हितधारकों के साथ विचार विमर्श किया गया है। 

तोमर ने कहा कि किसानों के लिए इनपुट लागतों में कमी लाने के मकसद से केंद्र तथा राज्य कीटनाशकों तथा बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिल कर काम करेंगे। उन्होंने आग्रह किया कि यूरिया को नैनो-यूरिया के साथ विस्थापित करने के लिए एक कार्यनीति होनी चाहिए। निर्यात के संबंध में तोमर ने कहा कि जहां कृषि निर्यातों में बढ़ोतरी हुई है, गुणवत्ता उत्पादों पर ध्यान दिया जाना चाहिए जिससे कि वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि निर्यातकों और किसानों दोनों को लाभ पहुंचना चाहिए।

कृषि एवं किसान कल्याण सचिव मनोज आहुजा ने कहा कि देश में वित्त वर्ष 2015-16 से ही खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी का रुझान बना हुआ है। पिछले 6 वर्षों के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन 25 प्रतिशत बढ़कर 2515 लाख टन से 3160 लाख टन हो गया है। तिलहनों में भी समान प्रकार का रुझान ही देखा गया है और उसमें वित्त वर्ष 2015-16 के 252.5 लाख टन के मुकाबले 42 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान तिलहन उत्पादन 371.5 लाख टन तक पहुंच गया है। कृषि उत्पादों के निर्यात में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 19.92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह 50.21 अरब डॉलर तक पहुंच गया। गेहूं, अन्य अनाज, चावल (बासमती को छोड़ कर), सोया मील, कच्चा कपास, ताजी सब्जियां तथा प्रसंस्कृत सब्जियों आदि जैसी वस्तुओं ने सर्वाधिक वृद्धि दर्ज कराई है। उन्होंने कहा, 381.95 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ सभी तिलहनों के लिए तीन वर्षों की सीड रौलिंग कार्य योजना (वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24) से ज्यादा उत्पादकता वाले 14.7 लाख क्विंटल बीज का उत्पादन अगले तीन वर्षों के दौरान किया जाएगा।

खरीफ सीजन में फसल प्रबंधन के लिए कार्यनीतियों पर प्रस्तुति देते हुए कृषि आयुक्त डॉ. ए. के. सिंह ने कहा कि अब विशेष फोकस तिलहनों, दलहनों तथा पोषक अनाजों पर दिया जा रहा है। सरकार की नीति के बाद, दलहन तथा तिलहन की खेती में वृद्धि के अनुरूप, चावल के तहत क्षेत्र में कमी आई है। उर्वरक सचिव ने आगामी सीजन के लिए उर्वरक आपूर्ति की स्थिति पर जानकारी दी। अपर सचिव (कृषि) तथा आईसीएआर के वरिष्ठ अधिकारियों तथा विभिन्न राज्य सरकारों के अधिकारियों ने भी सम्मेलन में भाग लिया। 

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